क्या वह मेरे लिए सही इंसान है : बहुत समय हो गया हैं। कुछ लिखा नहीं हैं। आज मन कर रहा हैं लिखने का तो लिख रही हु। आज मैं खुश भी हु और दुःख भी। क्यों बहुत आसान सी बात हैं। कई बार ऐसा होता हैं। जब हमें कोई पसंद आ जाये। लेकिन सामने वाले का पता ही नहीं चलता की , क्या वो भी हमें पसंद करता हैं?। लेकिन मेरे केस में कुछ अलग बात हैं। मेरे केस में मुझे कोई पसंद तो आया और कही न कही वो भी मुझे पसंद करता हैं। ये मुझे साफ़ साफ़ दिख जाता हैं। लेकिन इसका कोई फयदा नहीं हैं। वो मुझसे बस एक साल छोटा हैं , मैं आसानी से चेहरे के हाव-भाव समझ लेती हु। वो बस देखने में सुंदर हैं। सेन्स ऑफ़ हुमूर भी ठीक हैं। लेकिन इसके अलावा और कोई बात मुझे अत्त्रक्ट नहीं करती।

प्यार और आकर्षण में अंतर कैसे समझें
वो बस फेकता रहता हैं, खुद की तारीफ करता रहता हैं, खुद को अमेज़िंग दिखने की कोशिश में रहता हैं। कितनी अजीब बात हैं न , जब किसी को कोई अच्छा लगने लगता हैं , तो वो हर कमी , बेवकूफी वाली बाते हो या हरकते , उसको अनदेखा कर देती हैं। मेरे साथ भी ऐसा ही हो रहा था। लेकिन मुझे खुद पर काबू करना आता था।
मैं एक विवेकशील लड़की हूँ। जो हर परिस्थिति में सही और गलत को समझ लेती हैं। चाहे सामने कोई भी क्यों न खड़ा हो। मैं हमेशा अपनी बात सामने रखती हूँ। मुझे पता था जब कोई किसी को पसंद करने लगता हैं। तब वह लड़की /लड़का, वो ही काम करता हैं जिससे अपने प्यार को पा सके और उनका अटेंशन मिल सके। लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहती थी ,
क्यों ?
अच्छा सवाल हैं !
इसका जवाब बहुत गहरा हैं। लेकिन समझ तुरंत आ जाता हैं। एक समय था जब मुझे कोई अच्छा लगने लगा था , तब मैंने ऐसे कई चीजे की जिससे मुझे आज भी थोड़ी शर्मंदगी महसूस होती हैं। ऐसा नहीं था की मुझे कोई पहले पसंद नहीं आया…
आया था… लेकिन मैंने कभी उस पर इतना ध्यान नहीं दिया। तब मैंने अपने सबसे अलग रूप को देखा। जिसे मैं स्वीकार ही नहीं करन चाहती थी।
और ये सच हैं।
प्यार कहो या अट्रैक्शन , जो इसके अंदर फंस जाता हैं। वो व्यक्ति वो चीजे करने लगता हैं। जिससे सबसे ज्यादा खुद को आहात पॅहुचती हैं। और मैं अपने उस रूप को दुबारा नहीं देखना चाहती थी।
सही निर्णय
ये बात तब की हैं जब मुझे कोई कई सालो बाद सही लगा। जब हम पहली बार मिले थे। तो वो मुझे सही लगा लेकिन वो लड़का थोड़ा बद्द्तमीज़ था। मैं समझ गयी थी , मैं ऐसा व्यवहार सहन नहीं कर सकती। इसलिए मैंने उसे भाव ही नहीं दिया। इसी वजह से वो आकर्षित हो गया मुझसे। वो बहुत मुंहफट था इसलिए उसके दिमाग में क्या चल रहा हैं सब आसानी से पता चल जाता था मुझे । तभी मुझे पता चल गया की वो लड़का मेरे टाइप का नहीं हैं।
लाइफ में ऐसा कई बार होता हैं जब कोई लड़का/लड़की हमें पसंद आता हैं लेकिन वो सही हैं ? या नहीं ? ये समझना मुश्किल हो जाता हैं।
ये बात बहुत कम लोग ही समझ पाते हैं। और मैं समझ गयी थी। मैं सिर्फ लुक्स से आकर्षित नहीं हो सकती थी।
वह लड़का भी कुछ ऐसा ही था जो किसी बेहतर के मिलते ही उसके पीछे भागने लगते हैं। जो हर जगह मौका ढूंढ़ते हैं , अपने प्यार को हासिल करने के लिए। उस लड़के ने मुझसे बात की ताकि मुझे इम्प्रेस कर सके। फिर अगले दिन जब कोई और लड़की दिखी जो मुझसे भी ज्यादा खुबसुरत थी तो उसने उनसे से भी बात बनाने की कोशिश की , जो की गलत नहीं हैं।

लेकिन येही वो समये था जब मैं समझ गयी की मुझे इनपर फोकस करना चाहिए या नहीं।
मैंने ये फ़ैसला एक बार देखने से नहीं लिया बल्कि जब वो लड़कियाँ अनुपस्थित होती थी तो। ये लड़का हमेशा उनसे जुड़ी बाते करता था। जिससे मैं समझ गयी। मेरा समय बर्बाद होगा।
मैं ऐसे लड़के से प्यार नहीं करना चाहती थी जो मुझे चाहता तो हो लेकिन और बेहतर मिलने पर दूसरी जगह भी कोशिश करे। और अगर ऐसा नहीं भी होता तो भी मेरे नजरो में वैसे ही उस लड़के की वैल्यू बहुत गिर गयी थी। इसलिए अब मैंने उसे उतना ही अटेंशन दिया जितना देना मुझे सही लगता था।
वो लड़का आज भी फ़्लर्ट करने की कोशिश करता हैं। लेकिन अब वो मुझे सामान्य लड़को के जैसा लगता हैं , ख़ास नहीं लगता । क्योकि मेरे लिए सिर्फ लुक्स जरुरी नहीं हैं , उसके साथ नजरिया , तमीज , व्यवहार , और ओर भी कई सारे बाते जरुरी हैं।
वो खुश रहे, मैं खुश ही हु। क्युकी मैंने सही समये पर सही फ़ैसला ले लिया।
मैं हमेशा खुद को समझाती रहती हु की , जितना समय मैं किसी को समझने में लगाऊंगी उतना समय मैं खुद को सवारने और जानने में लगा सकती हु। ये बहुत प्यारी बात हैं की मैं खुद के बारे इतना सोचती हु।
आत्मअनुशासन कैसे बनाए रखें यह समझना जरूरी है l मैं पागल थी पहले जो हमेशा सोचती थी। कोई दूसरा मुझे समझेगा और मेरा ध्यान रखेगा। लेकिन अब मुझे समझ आया की मुझे क्यों कोई अपने लाइफ में चाहिए। ताकि मैं खुश रह सकू। सिंपल शब्दों में कहु तो मैं खुद को खुश देखना और महसूस करना चाहती थी, इसलिए मैं किसी ओर का सहारा लेकर खुद को बेवकूफ बना रही थी। तो ये एक्सपेक्ट करना की कोई दूसरा मुझे समझेगा , मेरी फीलिंग को समझेगा या मुझे क्या चाहिए ? ये समझेगा। तब इसमें मेरी ही गलती होगी। क्युकी तब मैंने खुद को ठेस पहुचने के लिए बाकियों को मौका दिया हैं। जिसका कोई भी फयदा उठा सकता हैं। खुद को खुद से बेहतर कोई नहीं जनता। और कोई मेरे लिए सामने नहीं आ सकता जब तक मैं खुद आगे न आउ खुद के लिए।
- सही जीवन साथी कैसे चुनें
- प्यार और आकर्षण में अंतर कैसे समझें
- आत्मअनुशासन कैसे बनाए रखें
- किसी रिश्ते में सही निर्णय कैसे लें
- सही निर्णय
यह जीवन में एक बेहद महत्वपूर्ण सवाल है कि सही जीवन साथी कैसे चुनें। जीवन साथी का चुनाव सिर्फ आकर्षण के आधार पर नहीं, बल्कि सोच-समझ और भावनात्मक स्थिरता के साथ करना चाहिए। जब किसी व्यक्ति के प्रति आकर्षण महसूस होता है, उस समय आत्मअनुशासन कैसे बनाए रखें यह एक बड़ा प्रश्न बन जाता है। ऐसे समय में हमें अपने दिल और दिमाग दोनों से काम लेना होता है, ताकि हम जल्दबाज़ी में कोई गलत फैसला न लें।
किसी भी रिश्ते में जुड़ने से पहले यह जानना जरूरी है कि आप किसी रिश्ते में सही निर्णय कैसे लें। यह निर्णय आपकी भावनात्मक ज़रूरतों, मूल्यों और भविष्य की योजनाओं पर आधारित होना चाहिए। बहुत बार लोग प्यार और आकर्षण में अंतर कैसे समझें यह नहीं जान पाते, और केवल शारीरिक या क्षणिक आकर्षण को प्यार समझ बैठते हैं। लेकिन सही जीवन साथी वही होता है जो आपके साथ जीवन की हर परिस्थिति में खड़ा रहे।
इसलिए किसी भी रिश्ते में जुड़ने से पहले आत्ममंथन करें, अपनी प्राथमिकताओं को समझें और सही निर्णय लें जो आपको आगे चलकर संतोष और स्थिरता प्रदान करे।
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